Fund Kaveri Engine: सोमवार को सैकड़ों नागरिकों, रक्षा विशेषज्ञों और टेक्नोलॉजी प्रेमियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एकजुट होकर भारत सरकार से Fund Kaveri Engine की मांग की। यह अभियान भारत के सैन्य विमानन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा जन आंदोलन बनता दिखा।
Kaveri Engine क्या है और क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण
Kaveri Engine एक स्वदेशी जेट इंजन है, जिसे DRDO की प्रयोगशाला Gas Turbine Research Establishment (GTRE) द्वारा विकसित किया जा रहा है।
यह लो-बायपास, ट्विन-स्पूल टर्बोफैन इंजन है जो लगभग 80 किलो न्यूटन तक थ्रस्ट जेनरेट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका उद्देश्य शुरू में LCA तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमानों को पावर देना था।
इस इंजन की एक खासियत इसका flat-rated design है, जिससे यह ऊंचे तापमान और तेज गति की परिस्थितियों में भी थ्रस्ट लॉस को कम करता है।
साथ ही इसमें Twin-lane FADEC system (Full Authority Digital Engine Control) है, जिससे इंजन का नियंत्रण बेहद सटीक होता है और इसके साथ मैनुअल बैकअप भी मौजूद है, जो इसे और अधिक भरोसेमंद बनाता है।
क्यों जरूरी है Fund Kaveri Engine अभियान
#FundKaveriEngine हैशटैग के जरिए नागरिकों ने देशभक्ति की भावना को साझा करते हुए सरकार से इस परियोजना को प्राथमिकता देने की मांग की।
लोग प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह कर रहे हैं कि इस इंजन के विकास में अधिक फंड और संसाधन दिए जाएं ताकि भारत विदेशी इंजन पर निर्भर न रहे और रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भर बन सके।
इतिहास और चुनौतियों से भरा रहा है Kaveri Engine का सफर
Kaveri Engine परियोजना की शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी, लेकिन इसे कई बड़ी तकनीकी और रणनीतिक बाधाओं का सामना करना पड़ा।
1998 में भारत के परमाणु परीक्षण के बाद लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से कई जरूरी तकनीकी सामग्रियों जैसे single-crystal blades की आपूर्ति बंद हो गई।
भारत के पास उच्च तकनीक की टेस्टिंग सुविधाओं की कमी थी, जिससे उसे रूस के CIAM जैसे विदेशी संस्थानों पर निर्भर रहना पड़ा।
Aerothermal dynamics, advanced metallurgy और डिजिटल नियंत्रण जैसी तकनीकों की जटिलता ने इस परियोजना को और कठिन बना दिया।
साथ ही फ्रेंच कंपनी Snecma के साथ हुई साझेदारी भी बीच में टूट गई, जिससे प्रोजेक्ट को झटका लगा।
नई दिशा की ओर बढ़ रहा है प्रोजेक्ट
2008 में इसे तेजस प्रोग्राम से अलग कर दिया गया, लेकिन अब इस इंजन के एक संशोधित वर्जन को Ghatak UCAV जैसे ड्रोन के लिए तैयार किया जा रहा है।
हाल के वर्षों में इस प्रोजेक्ट में नई गति देखी जा रही है। Godrej Aerospace जैसे प्राइवेट प्लेयर इंजन मॉड्यूल की डिलीवरी में सक्रिय हैं और इन-फ्लाइट टेस्टिंग भी की जा चुकी है।
देश को है स्वदेशी इंजन की जरूरत
आज जब भारत अपने लड़ाकू विमानों के लिए विदेशी इंजन पर निर्भर है, तब Fund Kaveri Engine जैसे अभियानों के जरिए जनता यह संदेश दे रही है कि स्वदेशी इंजन केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
निष्कर्ष
Kaveri Engine भारत की रक्षा ताकत को घरेलू स्तर पर मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसे केवल एक प्रौद्योगिकी परियोजना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक मानते हुए अब जनता इसके लिए खुलकर समर्थन कर रही है।
ऐसे में Fund Kaveri Engine की मांग सरकार के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि देश अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता चाहता है अब और देरी नहीं।