National Highways: अगर आपकी जमीन सरकार ने हाईवे बनाने के लिए अधिग्रहित कर ली है लेकिन सालों से उसका कोई उपयोग नहीं हुआ तो अब आपको राहत मिल सकती है। भारत सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम (National Highway Act) में संशोधन करने की योजना बना रही है जिससे यदि अधिग्रहित भूमि पांच वर्षों तक उपयोग में नहीं आती तो उसे उसके मूल मालिक को वापस कर दिया जायेगा।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस संभावित बदलाव की जानकारी दी है। यह बदलाव उन हजारों किसानों और जमीन मालिकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है जिनकी संपत्ति हाईवे प्रोजेक्ट्स के लिए अधिग्रहित की जाती है लेकिन वर्षों तक अनुपयोगी बनी रहती है।
मौजूदा कानून में क्या है प्रावधान
वर्तमान में नेशनल हाईवे एक्ट के तहत अधिग्रहित जमीन को लौटाने का कोई प्रावधान नहीं है। यदि सरकार किसी सड़क परियोजना के लिए किसी भूमि का अधिग्रहण करती है लेकिन लंबे समय तक उसका उपयोग नहीं कर पाती तो वह भूमि उसी स्थिति में पड़ी रहती है और मालिक को वापस नहीं मिलती।
इस समय सरकार के पास केवल यह विकल्प होता है कि यदि कोई जमीन किसी परियोजना के लिए अनावश्यक हो जाती है तो उसे अन्य सरकारी उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाया जाए। लेकिन इसे मूल मालिक को वापस करने की कोई कानूनी व्यवस्था फिलहाल नहीं है।
नए संशोधन में क्या होगा
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय इस अधिनियम में संशोधन करके एक नया नियम जोड़ने की तैयारी कर रहा है। इस नियम के तहत यदि किसी सड़क परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई जमीन पांच साल तक उपयोग में नहीं आती है तो उसे डिनोटिफाई (अधिग्रहण रद्द) करके मूल मालिक को वापस किया जा सकता है।
यह प्रस्ताव पहले केंद्रीय कैबिनेट के सामने रखा जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा। यदि संसद से भी इसे स्वीकृति मिल जाती है तो यह एक कानूनी प्रावधान बन जाएगा और जमीन वापसी की प्रक्रिया को औपचारिक रूप से लागू किया जा सकेगा।
सरकार के इस कदम की क्या जरूरत थी
विशेषज्ञों का मानना है कि यह संशोधन राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और उससे जुड़े अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कार्यों को गति देने में मदद करेगा। इसके अलावा इससे भविष्य में होने वाले हाईवे प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और प्रभावी बन सकेगी।
वर्तमान व्यवस्था में कई बार ऐसा होता है कि किसी क्षेत्र में सड़क निर्माण या अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की योजना बनाई जाती है और उसके लिए जमीन अधिग्रहण कर ली जाती है लेकिन किसी कारणवश परियोजना वर्षों तक शुरू ही नहीं हो पाती है।
इस स्थिति में जमीन मालिकों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है क्योंकि उनकी संपत्ति सरकार के अधीन चली जाती है और वे न तो उसे बेच सकते हैं न ही उसका अन्य किसी तरह से उपयोग कर सकते हैं।
जमीन मालिकों को क्या फायदा होगा
यदि यह संशोधन लागू हो जाता है तो इसका सबसे बड़ा लाभ उन किसानों और जमीन मालिकों को मिलेगा जिनकी भूमि सरकार अधिग्रहित करती है। यदि अधिग्रहण के बाद पांच वर्षों तक परियोजना शुरू नहीं होती तो उनकी जमीन उन्हें वापस मिल जाएगी।
भारत सरकार का यह संभावित कदम जमीन मालिकों के हितों की सुरक्षा और हाईवे प्रोजेक्ट्स को गति देने के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव हो सकता है। यदि यह कानून लागू होता है तो यह हजारों जमीन मालिकों के लिए राहतभरी खबर होगी।