EPF Withdrawal Rules: कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) भारतीय कर्मचारियों के लिए सबसे सुरक्षित और भरोसेमंद रिटायरमेंट सेविंग विकल्पों में से एक है।
इसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की ओर से 12% योगदान होता है, जिस पर हर साल ब्याज भी मिलता है। आमतौर पर यह राशि रिटायरमेंट पर मिलती है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में नौकरी के दौरान भी EPF Withdrawal की अनुमति दी जाती है।
इलाज के लिए कभी भी निकाल सकते हैं पैसा
स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरतों के लिए EPFO ने निकासी नियमों को सबसे सरल बनाया है। कर्मचारी, उसके जीवनसाथी, बच्चों या माता-पिता के इलाज के लिए बिना किसी न्यूनतम सदस्यता अवधि के EPF Withdrawal किया जा सकता है। अधिकतम सीमा 6 महीने की बेसिक सैलरी+DA या कर्मचारी की जमा राशि, जो कम हो, होती है।
बच्चों की पढ़ाई के लिए निकासी
यदि आपने 7 साल तक EPF में योगदान किया है, तो आप बच्चों की 10वीं के बाद की पढ़ाई के लिए पैसा निकाल सकते हैं। इस स्थिति में आप केवल अपने हिस्से की राशि और उस पर मिले ब्याज का अधिकतम 50% तक ही निकाल सकते हैं। यह सुविधा कुल 3 बार ली जा सकती है।
शादी के लिए भी उपलब्ध है विकल्प
खुद की, बच्चों या भाई-बहन की शादी के लिए भी EPF Withdrawal संभव है। इसके लिए भी 7 साल की सदस्यता जरूरी है और अधिकतम 50% तक की राशि निकाली जा सकती है। शादी या पढ़ाई इन दोनों कारणों से कुल मिलाकर सिर्फ 3 बार निकासी की अनुमति है।
घर खरीदने या बनवाने के लिए
घर या फ्लैट खरीदने या बनाने के लिए कम से कम 5 साल की सदस्यता जरूरी है। निकासी की सीमा 24 से 36 महीने की बेसिक सैलरी+DA, कुल जमा राशि या मकान की कीमत, इनमें जो भी कम हो, उस पर निर्भर करती है।
होम लोन चुकाने के लिए
यदि आपने होम लोन लिया है, तो 10 साल की सदस्यता के बाद आप अपने EPF खाते से लोन चुकाने के लिए निकासी कर सकते हैं। इसमें आप 36 महीने की सैलरी या बकाया लोन, जो कम हो, उतनी राशि निकाल सकते हैं।
मकान की मरम्मत पर भी पैसा निकलता है
यदि EPF से मकान बनवाने के 5 साल पूरे हो चुके हैं, तो उसकी मरम्मत के लिए हर 10 साल में एक बार निकासी की जा सकती है।
रिटायरमेंट से ठीक पहले
54 साल की उम्र पूरी कर चुके कर्मचारी, जो रिटायरमेंट से एक साल दूर हैं, वे अपने EPF अकाउंट से 90% तक की राशि एक बार में निकाल सकते हैं।
नौकरी से निकाले जाने या कंपनी बंद होने पर
यदि किसी कर्मचारी को नौकरी से निकाला गया है या कंपनी 15 दिन से ज्यादा बंद है और वेतन नहीं मिल रहा, तो वह अपने हिस्से की जमा राशि निकाल सकता है। दो महीने तक वेतन न मिलने की स्थिति (हड़ताल को छोड़कर) में भी EPF Withdrawal की अनुमति मिलती है।
विकलांगता की स्थिति में
किसी दुर्घटना के बाद अगर कर्मचारी विकलांग हो जाता है, तो वह जरूरी उपकरणों की खरीद के लिए हर 3 साल में एक बार निकासी कर सकता है। अधिकतम सीमा 6 महीने की बेसिक सैलरी या जमा राशि, जो भी कम हो, होती है।
पेंशन स्कीम में निवेश के लिए
55 साल की उम्र पूरी कर चुके कर्मचारी अपने EPF का 90% हिस्सा निकालकर Varistha Pension Bima Yojana जैसी योजनाओं में निवेश कर सकते हैं, जिससे उन्हें नियमित पेंशन मिलती है।
बिजली कटौती पर भी निकल सकता है पैसा
असामान्य परिस्थिति जैसे लगातार बिजली कटौती के मामले में भी EPF Withdrawal किया जा सकता है। इसमें एक महीने की सैलरी या ₹300 या कर्मचारी की जमा राशि, जो भी कम हो, निकाली जा सकती है। इसके लिए EPF Form 31 का इस्तेमाल होता है।
निष्कर्ष: EPF Withdrawal के नियम कर्मचारी की ज़रूरतों के अनुसार लचीले हैं। लेकिन हर निकासी की एक सीमा और शर्त होती है, इसलिए किसी भी फैसले से पहले नियमों की पूरी जानकारी लेना और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है।