Universal Pension Scheme: अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित देशों में वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी होती है। इन देशों में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को पेंशन प्रदान की जाती है जिससे उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र जीवन जीने का मौका मिलता है। इस व्यवस्था के कारण बुजुर्गों को भविष्य की चिंताओं से राहत मिलती है।
हालांकि भारत में कुछ पेंशन योजनाएं मौजूद हैं लेकिन अभी तक ऐसी कोई व्यापक व्यवस्था नहीं है जो सभी वरिष्ठ नागरिकों को कवर कर सके।
हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार यूनिवर्सल पेंशन स्कीम (Universal Pension Scheme) शुरू करने पर विचार कर रही है। अगर यह योजना लागू होती है तो यह देश के लाखों बुजुर्गों के लिए एक बड़ा सहारा बन सकती है।
क्या है यूनिवर्सल पेंशन स्कीम का प्लान?
मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक सरकार इस योजना को लेकर गंभीरता से विचार कर रही है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने इस पर चर्चा शुरू कर दी है और अधिकारियों का कहना है कि यह स्कीम पूरी तरह स्वैच्छिक होगी।
इसमें हिस्सा लेने के लिए नौकरी से जुड़ा होना जरूरी नहीं होगा। यानी चाहे आप मजदूर हों, व्यापारी हों या फिर खुद का काम करते हों हर कोई इसमें शामिल होकर पेंशन का हकदार बन सकता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह योजना कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत लाई जा सकती है। खास बात यह है कि 18 साल से ऊपर का कोई भी व्यक्ति इसमें योगदान शुरू कर सकता है और 60 साल की उम्र पार करते ही पेंशन का लाभ ले सकता है।
मौजूदा पेंशन योजनाओं का होगा समावेश
इस नई स्कीम को और आकर्षक बनाने के लिए सरकार कुछ पुरानी योजनाओं को इसमें जोड़ने की सोच रही है। प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (PM-SYM) और राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS-Traders) को इसके दायरे में लाया जा सकता है। ये दोनों योजनाएं पहले से ही स्वैच्छिक हैं और 60 साल की उम्र के बाद हर महीने 3,000 रुपये की पेंशन देती हैं।
इनमें हिस्सा लेने के लिए आपको अपनी उम्र के हिसाब से हर महीने 55 से 200 रुपये तक जमा करने होते हैं और सरकार भी उतना ही योगदान देती है।
नई स्कीम में इनका विलय होने से असंगठित क्षेत्र के कामगारों, छोटे दुकानदारों और स्व-रोजगार करने वालों को बड़ा फायदा हो सकता है। यह सरकार का एक दूरदर्शी कदम हो सकता है जो समाज के हर तबके को जोड़ने की कोशिश करता है।
भारत में बुजुर्गों की बढ़ती आबादी
भारत की आबादी में वरिष्ठ नागरिकों का हिस्सा तेजी से बढ़ रहा है। अनुमान है कि 2036 तक देश में 22.7 करोड़ लोग 60 साल से ऊपर होंगे जो कुल जनसंख्या का 15% होगा। वहीं 2050 तक यह संख्या 34.7 करोड़ तक पहुंच सकती है यानी 20% आबादी बुजुर्ग होगी।
ऐसे में उनकी आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। जहां अमेरिका, कनाडा और यूरोप जैसे देश अपने नागरिकों को स्वास्थ्य, बेरोजगारी और पेंशन जैसी सुविधाओं के साथ मजबूत सोशल सिक्योरिटी सिस्टम देते हैं वहीं भारत में अभी तक यह व्यवस्था ज्यादातर गरीबी रेखा से नीचे के लोगों तक सीमित है।
प्रोविडेंट फंड, वृद्धावस्था पेंशन और कुछ हद तक स्वास्थ्य बीमा ही यहां की सामाजिक सुरक्षा का आधार रहे हैं। अब यूनिवर्सल पेंशन स्कीम कब तक लागू की जा सकती है यह तो समय ही बतायेगा।