New Income Tax Bill के तहत वित्त वर्ष 2025-26 (आकलन वर्ष 2026-27) में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। सरकार का उद्देश्य कर संरचना को सरल बनाना और कर अनुपालन को आसान बनाना है।
1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले इन संशोधनों का प्रभाव आम करदाताओं से लेकर व्यवसायों तक सभी पर पड़ेगा। आइए जानते हैं New Income Tax Bill के प्रमुख बदलावों के बारे में।
नई आयकर स्लैब (FY 2025-26 के लिए)
बजट 2025 में धारा 115BAC के तहत नए टैक्स स्लैब प्रस्तावित किए गए हैं, जो डिफॉल्ट टैक्स रेजीम के तहत लागू होंगे।
आयकर स्लैब और कर दरें
आयकर स्लैब (रुपये में) | कर दर (%) |
0 – 4 लाख | शून्य |
4 लाख – 8 लाख | 5% |
8 लाख – 12 लाख | 10% |
12 लाख – 16 लाख | 15% |
16 लाख – 20 लाख | 20% |
20 लाख – 24 लाख | 25% |
24 लाख से अधिक | 30% |
टैक्स छूट में बड़ा बदलाव
धारा 87A के तहत नई कर व्यवस्था में रिबेट लिमिट ₹25,000 से बढ़ाकर ₹60,000 कर दी गई है। अब 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। हालांकि, पुरानी कर व्यवस्था में यह छूट ₹12,500 तक ही सीमित रहेगी।
TDS और TCS नियमों में बदलाव
1 अप्रैल 2025 से TDS की नई सीमा इस प्रकार होगी:
आयकर की नई और पुरानी सीमा
धारा | पहले की सीमा (₹) | नई सीमा (₹) |
193 (प्रतिभूतियों पर ब्याज) | NIL | 10,000 |
194A (अन्य ब्याज आय) | 50,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए) | 1,00,000 |
194B (लॉटरी जीत) | 10,000 (वार्षिक) | 10,000 (प्रत्येक लेनदेन पर) |
194-I (किराया) | 2,40,000 (वार्षिक) | 50,000 (मासिक) |
194J (व्यावसायिक सेवाओं के लिए शुल्क) | 30,000 | 50,000 |
TCS (स्रोत पर कर संग्रह) में बदलाव:
आयकर की नई और पुरानी सीमा (धारा 206C)
धारा | पहले की सीमा (₹) | नई सीमा (₹) |
206C(1G) (LRS के तहत प्रेषण) | 7 लाख | 10 लाख |
206C(1H) (माल की खरीद) | 50 लाख | अब TCS नहीं लगेगा |
ITR-U भरने की समय-सीमा बढ़ी
अब अपडेटेड टैक्स रिटर्न (ITR-U) भरने की समय सीमा 12 महीने से बढ़ाकर 48 महीने (4 वर्ष) कर दी गई है।
ITR-U दाखिल करने की अवधि और अतिरिक्त कर
ITR-U दाखिल करने की अवधि | अतिरिक्त कर |
12 महीने के भीतर | 25% |
24 महीने के भीतर | 50% |
36 महीने के भीतर | 60% |
48 महीने के भीतर | 70% |
IFSC और स्टार्टअप्स के लिए राहत
IFSC यूनिट्स के लिए कर छूट की अंतिम तिथि 31 मार्च 2030 तक बढ़ा दी गई है।
विदेशी निवेशकों द्वारा IFSC से खरीदी गई जीवन बीमा पॉलिसी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
धारा 80-IAC के तहत 1 अप्रैल 2030 तक पंजीकृत स्टार्टअप्स को पहले 10 वर्षों में से 3 वर्षों के लिए 100% टैक्स छूट दी जाएगी।
अन्य बड़े बदलाव
TDS और TCS की जटिलताओं को कम करने के लिए धारा 206AB और 206CCA को हटा दिया गया है।
भागीदारों के लिए पारिश्रमिक कटौती की सीमा ₹6,00,000 तक के बुक प्रॉफिट पर 90% या ₹3,00,000 (जो अधिक हो) और ₹6,00,000 से अधिक होने पर 60% तय की गई है।
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIPs) जिनका वार्षिक प्रीमियम ₹2.5 लाख से अधिक होगा, वे पूंजीगत लाभ कर के तहत करयोग्य होंगे।
स्वयं-अधिवासित संपत्तियों की संख्या की सीमा हटाई गई है, जिससे अब मालिक वहां नहीं रहने पर भी इसे शून्य आय माना जाएगा।
New Income Tax Bill का असर
New Income Tax Bill के तहत किए गए ये बदलाव करदाताओं के लिए टैक्स प्लानिंग को आसान बनाएंगे। नई टैक्स स्लैब और रिबेट लिमिट से मध्यमवर्गीय करदाताओं को राहत मिलेगी, वहीं व्यावसायिक करदाताओं के लिए अनुपालन प्रक्रिया सरल हो जाएगी।
Disclaimer: यह समाचार केवल जानकारी के उद्देश्य से है। कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श करें।