HMPV Virus Symptoms: Human Metapneumovirus (HMPV) एक श्वसन संक्रमण है, जो आमतौर पर हल्के से मध्यम फ्लू जैसे लक्षण उत्पन्न करता है। यह वायरस मुख्यतः सर्दियों और वसंत ऋतु के दौरान फैलता है और संक्रमित व्यक्तियों के सीधे संपर्क या दूषित सतहों के माध्यम से फैलता है।
इस लेख में हम जानेंगे की HMPV Virus Symptoms कौन-कौनसे है और इनसे कैसे बचाव किया जा सकता है।
![HMPV Virus Symptoms](https://agneepathscheme.in/wp-content/uploads/2025/01/HMPV-Virus-Symptoms-1024x683.jpg)
HMPV वायरस के लक्षण (HMPV Virus Symptoms)
सामान्य लक्षण:
- खांसी
- नाक बंद होना या बहना
- गले में खराश
- बुखार
गंभीर लक्षण:
- सांस लेने में कठिनाई
- घरघराहट
- निमोनिया
- दमे की स्थिति बिगड़ना
यह वायरस छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों के लिए अधिक खतरनाक हो सकता है।
भारत में HMPV के ताज़ा मामले
हाल ही में भारत में Human Metapneumovirus (HMPV) के सात मामलों की पुष्टि हुई है। ये मामले बेंगलुरु, नागपुर, अहमदाबाद और तमिलनाडु में दर्ज किए गए हैं।
- बेंगलुरु: एक तीन महीने की बच्ची और आठ महीने के बच्चे में संक्रमण पाया गया।
- अहमदाबाद: राजस्थान के डूंगरपुर के दो महीने के बच्चे में संक्रमण की पुष्टि हुई।
- नागपुर: 7 और 13 साल के बच्चों में संक्रमण मिला।
- तमिलनाडु: चेन्नई और सलेम में दो सक्रिय मामले पाए गए।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अधिकतर मामलों में मरीज सामान्य देखभाल से ठीक हो गए हैं।
चीन और अन्य देशों में स्थिति
चीन में HMPV Virus के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। अस्पतालों में भीड़भाड़ के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। मलेशिया और हांगकांग ने भी HMPV संक्रमण के मामले दर्ज किए हैं। जापान पहले से ही इन्फ्लुएंजा के प्रकोप से जूझ रहा है।
बचाव और रोकथाम
HMPV वायरस से बचाव के लिए निम्न उपाय अपनाने चाहिए:
- नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोएं।
- संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें।
- खांसते या छींकते समय मुंह और नाक ढकें।
- भीड़भाड़ वाली जगहों में मास्क पहनें।
- बीमार महसूस करने पर घर पर रहें।
- सतहों को नियमित रूप से साफ करें।
स्वास्थ्य मंत्रालय का HMPV Virus पर बयान
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने जनता को आश्वस्त किया है कि स्थिति नियंत्रण में है। विशेषज्ञों के अनुसार, जिस भी व्यक्ति में HMPV Virus Symptoms दीखते है उन्हें अधिकतर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती और मरीज आराम व उचित देखभाल से ठीक हो जाते हैं।