Bank Rate CUT: देश के दो सबसे बड़े प्राइवेट बैंकों ICICI Bank और HDFC Bank ने ग्राहकों को एक बड़ा झटका देते हुए MCLR दरों में कटौती का ऐलान किया है।
इस कदम से ना सिर्फ नए लोन महंगे हो सकते हैं बल्कि जमा पर मिलने वाला ब्याज भी प्रभावित होगा। Bank cuts MCLR rate की इस खबर से लाखों ग्राहकों को अब अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है।
HDFC Bank ने घटाई MCLR दरें
HDFC Bank ने अपने MCLR (Marginal Cost of Funds Based Lending Rate) में 10 बेसिस पॉइंट्स यानी 0.10% की कटौती की है।
अब बैंक की नई MCLR दरें 3 साल तक की अवधि के लिए 8.90% से 9.10% के बीच हो गई हैं। इसका सीधा असर नए लोन पर पड़ेगा क्योंकि MCLR दर से ही होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन की ब्याज दरें तय होती हैं।
ICICI Bank ने FD पर घटाया ब्याज
दूसरी तरफ ICICI Bank ने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज दरों में कटौती की है। अब:
- 271 दिन से 1 साल की जमा पर ब्याज दर 5.75% हो गई है (25 आधार अंक की कटौती)।
- 18 महीने से 2 साल की जमा पर ब्याज घटकर 6.50% रह गया है (35 आधार अंक की कटौती)।
- 5 साल से 10 साल की जमा पर ब्याज 6.60% रह गया है (10 आधार अंक की कटौती)।
- Tax Saver FD पर ब्याज दर अब 6.60% है (15 आधार अंक की कटौती)।
इन कटौतियों से उन लोगों को झटका लग सकता है जो पोस्ट ऑफिस या बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट के ज़रिए सुरक्षित निवेश करना पसंद करते हैं।
रेपो रेट में RBI ने की कटौती
RBI की हालिया मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की गई। इस फैसले का असर कई सरकारी और निजी बैंकों पर देखने को मिल रहा है।
बैंक ऑफ बड़ौदा, PNB, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक जैसे सरकारी बैंक पहले ही रेपो-लिंक्ड ब्याज दरों में कटौती कर चुके हैं।
अन्य बैंकों ने भी घटाया ब्याज
Canara Bank और Kotak Mahindra Bank जैसे अन्य बैंक भी इस बदलाव की लहर में शामिल हो चुके हैं। इन्होंने भी फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज दरों में कटौती कर दी है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले समय में बचत खातों (Savings Accounts) पर भी ब्याज दर में 25 से 50 बेसिस पॉइंट्स तक की कटौती संभव है।
क्या है इसका असर आम लोगों पर
Bank cuts MCLR rate और FD ब्याज दरों में गिरावट का असर उन ग्राहकों पर साफ पड़ेगा जो अपनी कमाई को बैंक में सेविंग्स या FD के रूप में रखते हैं।
एक ओर जहां लोन लेने वाले लोगों को कुछ राहत मिल सकती है वहीं बचत करने वालों की आमदनी में गिरावट आ सकती है। निवेशकों और वरिष्ठ नागरिकों को अब पोस्ट ऑफिस स्कीम्स जैसे विकल्पों की तरफ रुख करना पड़ सकता है।