CBSE New Rules: सीबीएसई (CBSE) ने 2025-26 सत्र से सभी केंद्रीय विद्यालयों में मातृभाषा आधारित शिक्षा व्यवस्था को लागू करने का आदेश दिया है।
यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) और नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2023 (NCF 2023) के अंतर्गत लिया गया है। इस बदलाव का उद्देश्य छोटे बच्चों को शुरुआत से ही उनकी मातृभाषा में पढ़ाई का अवसर देना है ताकि वे बेहतर तरीके से सीख सकें।
प्री-प्राइमरी से कक्षा 2 तक मातृभाषा में पढ़ाई
नई नीति के अनुसार अब प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा 2 तक की पढ़ाई मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में कराई जाएगी। Kendriya Vidyalaya Rules के तहत स्कूल बच्चों की भाषाई पृष्ठभूमि के आधार पर कक्षाएं बांटने की तैयारी कर रहे हैं। इससे बच्चों की समझ, आत्मविश्वास और संस्कृति से जुड़ाव बढ़ेगा।
केंद्रीय विद्यालयों में कैसे होगा लागू
केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) ने सभी स्कूलों को NCF कार्यान्वयन समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं। यह समिति छात्रों की मातृभाषा की पहचान करेगी और उसी के आधार पर स्टडी मटीरियल तैयार किया जाएगा।
उदाहरण के तौर पर एक कक्षा में हिंदी भाषी, दूसरी में मराठी या अन्य भाषा बोलने वाले छात्रों को अलग-अलग पढ़ाया जा सकता है।
कई भाषाओं के बीच संतुलन बड़ी चुनौती
दिल्ली, मुंबई जैसे शहरी इलाकों में जहां एक ही कक्षा में कई मातृभाषाएं बोली जाती हैं, वहां इस नीति को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
एक सामान्य भाषा तय करना आसान नहीं होगा, लेकिन इसके लिए शिक्षकों को बहुभाषी शिक्षा की ट्रेनिंग दी जा रही है जो जुलाई 2025 तक पूरी हो जाएगी।
NCERT की तैयारी
NCERT ने इस बदलाव को सुचारु रूप से लागू करने के लिए कक्षा 1 और 2 के लिए 22 भारतीय भाषाओं में किताबें तैयार की हैं। इससे शिक्षकों को बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाने में सहूलियत मिलेगी। Kendriya Vidyalaya Rules के अनुसार, स्कूलों को मासिक प्रगति रिपोर्ट जमा करनी होगी।
क्यों जरूरी है मातृभाषा में पढ़ाई
मातृभाषा में पढ़ाई से बच्चों की सीखने की क्षमता बढ़ती है। यह उन्हें अपनी सांस्कृतिक पहचान से जोड़ती है और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को और अधिक सुलभ बनाती है। CBSE का मानना है कि छोटे बच्चों के लिए परिचित भाषा में पढ़ाई करना उन्हें शिक्षा से जोड़े रखने में सहायक होगा।
कुछ अभिभावकों की चिंता
हालांकि, कुछ माता-पिता अंग्रेजी माध्यम को बेहतर विकल्प मानते हैं और ऐसे में Kendriya Vidyalaya Rules का विरोध भी हो सकता है। इसे देखते हुए केंद्रीय विद्यालय संगठन ने अभिभावकों को जागरूक करने और इस बदलाव को धीरे-धीरे लागू करने की योजना बनाई है।
निष्कर्ष
सीबीएसई और केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा लागू की जा रही नई Kendriya Vidyalaya Rules न सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने का प्रयास हैं, बल्कि यह बदलाव छोटे बच्चों के सीखने के तरीके को भी और अधिक प्रभावी बना सकता है। हालांकि, इसके क्रियान्वयन में चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन सही रणनीति से यह बदलाव शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा दे सकता है।