Khatu Shyam Ji को ‘हारे का सहारा’, ‘तीन बाण धारी’ और ‘शीश का दानी’ जैसे विशेषणों से जाना जाता है। उनकी कथा महाभारत काल से जुड़ी है, जब भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने युद्ध में भाग लेने की इच्छा जताई थी।
भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे उनका शीश मांगा और उन्होंने सहर्ष दान कर दिया। इस अद्वितीय त्याग से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में वे Khatu Shyam Ji के नाम से पूजे जाएंगे और लोगों के दुःख हरेंगे।
Khatu Shyam Ji के धाम जाने पर जरूर करें यह अरदास विधि
अगर आप Rajasthan के सीकर ज़िले में स्थित Khatu Shyam Ji के मंदिर जाने का मन बना रहे हैं, तो वहां जाकर अरदास जरूर करें। माना जाता है कि सच्चे मन से की गई अरदास बाबा को ज़रूर स्वीकार होती है और मनोकामना पूरी होती है। इसके लिए आपको एक लाल पेन, सूखा नारियल, एक नया कागज और लाल धागा चाहिए।
अपने घर के पूजा स्थान पर बैठकर लाल पेन से एक नए पेज पर केवल एक मनोकामना स्पष्ट रूप से लिखें।
अब उस पेज को मोड़ें और अपनी श्रद्धा अनुसार कुछ दक्षिणा रखें।
फिर पेज, नारियल और दक्षिणा को लाल धागे से अच्छे से बांध दें।
जब आप Khatu Shyam Ji के मंदिर जाएं, तो यह अर्जी उनके चरणों में समर्पित करें।
साथ ही पूरे विश्वास और भक्ति के साथ बाबा से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।
क्या नहीं करना चाहिए अरदास के समय
अरदास करते समय यह ध्यान रखें कि एक बार में केवल एक ही इच्छा लिखें। ऐसी कोई इच्छा न रखें जिससे किसी अन्य का नुकसान हो या जो अव्यवहारिक हो। बाबा के चरणों में सच्चे और निर्मल मन से अरदास करना ही उनकी कृपा पाने की पहली शर्त है।
घर पर भी कर सकते हैं यह प्रक्रिया
अगर आप किसी कारणवश Khatu Shyam Ji के मंदिर नहीं जा पा रहे हैं, तो घर पर भी बाबा की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठकर यही विधि अपनाई जा सकती है। अपनी अर्जी चढ़ाकर प्रार्थना करें और पूरी श्रद्धा रखें कि बाबा आपकी सुनेंगे।
आस्था और विश्वास का प्रतीक हैं Khatu Shyam Ji
खाटू धाम में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु Baba Khatu Shyam Ji के दर्शन करने आते हैं। उनकी भक्ति में डूबा हुआ माहौल, कीर्तन और भजन लोगों के मन को भावविभोर कर देता है। चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ हों, Khatu Shyam Ji का नाम लेने मात्र से ही भक्तों को सुकून और आश्वासन मिल जाता है कि वे ‘हारे का सहारा’ हैं।
अस्वीकरण
यह लेख धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। इसमें दी गई विधियों और उपायों का उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है। किसी भी निर्णय से पहले पाठकों को अपने विवेक का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।